डिजिटल युग में आये अन्य आविष्कार भले ही हमे समय में आगे ले जाये | पर फिर भी कई लोग पुराने माध्यम को ही सही मानते है | जैसे की किताब पढ़ने वाले , किताब के पन्नो में ही अपना सुकून खोजते है | ऐसे में डिजिटल युग के बीच हमारा एक और अविष्कार लोगो के बीच जगह बना रहा है | और इसका नाम है - "इलेक्ट्रॉनिक पेपर" |
इ इंक डिस्प्ले या इलेक्ट्रॉनिक पेपर को प्रिंटिंग प्रेस का अगला युग कहा जा रहा है | शायद ये कहना भी ठीक होगा की इलेक्ट्रॉनिक पेपर ने लोगो के बीच प्रैस की सभी धारणाओं को बदल के रख दिया है | पहले के समय में हमें पेपर की छपाई पर ही निर्भर रहना पढता था | पर अब दौर बदल गया है | आज के समय में हर कोई खुद का प्रेस/संस्करण छाप सकता है |
What is eink ( इ - इंक क्या है ) ?
इलेक्ट्रॉनिक पेपर में आप हाजारो किताबो को एक जगह पर रख सकते है | यह एक ऐसे टेक्नोलॉजी पर बना है , जिससे आपको लगेगा की आप किताब ही पढ़ रहे है | आपको इसे पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि इसकी डिस्प्ले किताब के पन्नो की तरह है दिखती है | अगर आप इसे ज्यादा देर तक पढ़ेंगे तो आपकी आंखों में भी कोई परेशानी नहीं आएगी | क्योंकि इसकी स्क्रीन मोबाइल फोन की स्क्रीन की तरह आंखों में चुभती नहीं है | आप घंटों तक इसे इस्तेमाल कर सकते हैं |
इलेक्ट्रॉनिक पेपर की इस टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करके ई रीडर बनाया गया है | ई रीडर इंच डिस्प्ले के साथ आता है, साथ में एक चिप होती है जिसमें आप हजारों किताबें एक साथ रख सकते हैं | इसकी बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों ने इसमें अपना समय और पैसा दोनों ही लगाया है | एप्पल सोनी और अमेजॉन जैसी कंपनियां हर साल इलेक्ट्रॉनिक पेपर पर बनने वाले 3-4 ई रीडर को लॉन्च कर ही देती है |
इलेक्ट्रॉनिक पेपर के बारे में आज मैं आपको इस आर्टिकल में कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहा हूं | अगर आप इलेक्ट्रोनिक पेपर या इ इंक डिस्प्ले के बारे में विस्तार में जानना चाहते हैं तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें |
Interesting Unknown Facts about E ink in Hindi ( इ इंक के बारे में रोचक तय्थ ):
- 1. इलेक्ट्रॉनिक पेपर टेक्नोलॉजी के ऊपर काम 1970 के समय से ही शुरू हो गया था | क्योंकि उस समय कंप्यूटर में आने वाली डिस्पले बेहद ही खराब क्वालिटी की होती थी | इस खराब क्वालिटी के कारण कंप्यूटर को यूज करना और भी मुश्किल हो गया था | जो कैथोड रे ट्यूब कंप्यूटर में यूज की जाती थी वह बेहद ही कम लाइट स्क्रीन के ऊपर डाल दी थी | इससे कंप्यूटर को रोशनी में इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाता था | तब बहुत से कंप्यूटर यूजर कंप्यूटर को रात में या फिर धूप को ब्लॉक करके इसको यूज़ करते थे |
- 2. इस दिक्कत से सबसे पहली बार छुटकारा जेरॉक्स के रिसर्च सेंटर Xerox Palo Alto Research Center में बने माउस ,लेजर प्रिंटर और कंप्यूटर जेनरेटेड कलर ग्राफिक से सही करने की कोशिस की गयी | इसमें गिरिकन इस्तेमाल किया जाता था |
- 3. गिरिकन को 2005 में इस्तेमाल करना बन्द करना पड़ा | पर निकोलस शेरिडन (Nicholas Sheridon) जो की गिरिकन के अविष्कारक थे , 1992 में ही Xerox Palo Alto Research Center से इस पर काम करने की आज्ञा मिल गयी थी | उनके प्रयासों से ही ईपेपर की टेक्नोलॉजी में विस्तार हुआ | आज जिस तरह की इलेक्ट्रॉनिक पेपर टेक्नोलॉजी को हम देख रहे है इसकी नीव 1974 में निकोलस शेरिडन (Nicholas Sheridon) ने ही रखी थी |
- 4. 1998 में दुनिया का सबसे पहला ई बुक रीडर लॉन्च किया गया, जिसका नाम रॉकेट इबुक और सॉफ्ट बुक के नाम से था | आप आज अपने ई रीडर में हजारों बुक एक समय पर सेव करके रख सकते हैं , पर उस समय सॉफ्ट बुक की मेमोरी सिर्फ 64 मेगाबाइट्स की थी , जो की सिर्फ 1,00,000 पेज तक स्टोर कर सकता था |
- 5. 1990 दशक में इलेक्ट्रॉनिक पेपर टेक्नोलॉजी में और सुधार हुआ | इसके पीछे MIT मीडिया लैब के प्रोफेसर जोसफ जैकब्सन थे | उनकी कंपनी अब color इ-पेपर पर काम कर रही है |
- 6. 2006 में seiko epson corporation में प्लास्टिक से इ पेपर इजात किया | जो की आज भी पहली जनरेशन किंडल जैसे डिवाइस में देखने को मिलता है |
- 7. 2010 में उसी तरह के प्लास्टिक मटेरियल को उसे करके फ्लेक्सिबल इ-इंक स्क्रीन बनाई गयी | इसके पीछे सोनी कंपनी का हाथ है | आने वाले समय में हमे फ्लेक्सिबल इ रीडर देखने को मिल सकते है |
- 8. आज आप डिस्प्ले को बहुत से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में देख सकते हैं | ऐसा इसलिए क्योंकि ईपेपर डिस्प्ले बेहद ही काम ऊर्जा पर काम करता है |
- 9. देखा जाये तो आने वाले समय में इ-पेपर डिस्प्ले के इस्तेमाल में तेजी आएगी | ऐसा इसलिए भी है क्युकी पुरे साल 300 मिलियन टन पेपर की लागत के लिए 30 मिलियन एकड़ की दुरी जितने जंगल काट दिए जाते है |
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Device based on E ink display ( इ-पेपर/इ-इंक डिस्प्ले पर बने डिवाइस ) :
- 1. 2006 में मोटोरोला ने मोटोf3/मोटोफोन के नाम से इ-इंक डिस्प्ले के साथ फोन लॉन्च किया | इस फोन की खासियत यह थी कि इ-इंक डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के ऊपर आधारित था | इसे खास तौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया था, जो कि एक सस्ता फोन चाहते थे |
Motorola Motoplay F3 with E-ink Display - 2. इस तरह 2001 से लेकर 2007 के बीच बहुत सी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में ई इंक डिस्पले दी गई | जिसमें स्मार्ट वॉच, ई रीडर, स्टेटस डिस्पले, मोबाइल फोन और न्यूज़ पेपर आते थे |
- 3. इ-इंक डिस्प्ले आज कल स्मार्ट कार्ड ,एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड और गिफ्ट कार्ड में भी इस्तेमाल होने लग गया है | हाल में यह चीन के बाजार में बिक रहा है |
Source : China epaper.com , Atm cards
अगर आप भी अपने लिए कोई एक डिवाइस खरीदना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक करके खरीद सकते हैं |
देखा जाए तो आज ई इंक डिस्पले टेक्नोलॉजी में विस्तार हो गया है | अब मार्केट में कलरफुल ई इंक डिस्पले भी लॉन्च किए जा चुके हैं | अगर आप उनके बारे में जानना चाहते हैं , तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके इसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जा सकते हैं | हमें भी एलसीडी डिस्पले की जगह ई इंक डिस्पले को इस्तेमाल करना चाहिए | क्योंकि इससे कागज के इस्तेमाल को कम कर सकते हैं | जिससे पेड़ों की कटौती में कमी आएगी | और हमें ग्लोबल वार्मिंग से छुटकारा मिलेगा |
आने वाले समय में ई इंक डिस्पले के इस्तेमाल में तेजी आने वाली है | अभी फिलहाल यह अमेरिका, इंग्लैंड, रशिया, चीन और जापान जैसे विकसित देशों में ही इस्तेमाल किया जाता है | इसे गतिशील देशों में लांच किया जाना बाकी है | ई इंक डिस्पले भारत और एशियाई देशों, की मार्केट में यह धूम मचा सकता है |
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